खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत डल्लेवाल के आमरण अनशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बैंच ने ये सुनवाई की। इसमें पंजाब सरकार ने कहा कि डल्लेवाल को अस्पताल शिफ्ट करने पर किसान विरोध कर सकते हैं। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मांगों को लेकर आंदोलन लोकतांत्रिक तरीका है, लेकिन किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने का आंदोलन कभी नहीं सुना। यह आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई कि पहले आप समस्या पैदा करते हैं और फिर कहते हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते?
कोर्ट ने डल्लेवाल को अस्पताल ले जाने का विरोध करने वालों पर भी सख्त रुख दिखाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किस तरह के किसान नेता हैं, जो चाहते हैं कि डल्लेवाल मर जाएं। उन पर दबाव दिख रहा है। कोर्ट ने कहा कि वे डल्लेवाल को अस्पताल शिफ्ट करने को लेकर पंजाब सरकार के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं। कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिए कि डल्लेवाल की शिफ्टिंग में मदद की जरूरत हो तो वह इसे मुहैया कराएं।
वहीं पंजाब के चीफ सेक्रेटरी और DGP के खिलाफ अवमानना के मामले को लेकर 31 दिसंबर को फिर सुनवाई होगी।
डल्लेवाल फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के कानून की मांग को लेकर 33 दिन से खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे हैं। कल 27 दिसंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में किए गए प्रयासों को लेकर रिपोर्ट मांगी थी।